स्वदेश प्रेम पर निबंध Essay On Country Love In Hindi Language
“जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं |
वह हृदय नहीं है, पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ||”
मैथिलीशरण गुप्त की इन काव्य पंक्तियों का अर्थ यह है कि देश-प्रेम के अभाव में मनुष्य जीवित प्राणी नहीं बल्कि पत्थर के ही समान...
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